सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन क्या है?
What is Certificate of Origin?
सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक (शिपिंग) दस्तावेज है। जो भेजे जा रहे माल या वस्तु की उत्पति को प्रमाणित करता है। इस दस्तावेज में भेजे जा रहे माल के, आयात और निर्यात देश के संबंधित विवरण होते है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के तहत एक आवश्यक दस्तावेज है। यह दस्तावेज़ इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से माल या वस्तु की आयात पात्रता और लागू सीमा शुल्क या छूट का पता लगाने में मदद करता है।
सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन एक्सपोर्ट के लिए क्यों जरुरी है ?
Why is Certificate of Origin important for export?
• यह अन्तराष्ट्रीय के व्यापार समझौते के लिए आवश्यक दस्तावेज है।
• यह दस्तावेज उत्पाद को दुसरे देश में भेजने के लिए अनिवार्य होता है।
• यह दस्तावेज उत्पादक देश की उत्पत्ति को प्रमाणित करता है। साधारण भाषा में कहे होते जो प्रोडक्ट्स दुसरे देश में भेजते है तो अन्तराष्ट्रीय समझौते के तहत यह प्रमाणित करना होता है की उत्पाद कहा किस देश में बना है या किस देश से निर्यात हो रहा है| जिससे उत्पाद सम्बन्धी समस्याओ और क़ानूनी प्रक्रियाओ को हल करने में मदत मिलता है|
उदगम (उत्पत्ति) प्रमाण पत्र दो प्रकार के होते हैं:
• वरीयता प्राप्त (Preferential): उत्पत्ति का अधिमान्य प्रमाण पत्र इंगित करता है कि माल देशों के बीच व्यापार व्यवस्था के तहत कम टैरिफ या टैरिफ-मुक्त उपचार के लिए योग्य है।
• गैर – वरीयता प्राप्त (Non-Preferential): उत्पत्ति का गैर – अधिमान्य प्रमाण पत्र, जिसे "साधारण सीओ" के रूप में भी जाना जाता है, यह दर्शाता है कि माल देशों के बीच व्यापार व्यवस्था के तहत कम टैरिफ या टैरिफ-मुक्त उपचार के लिए योग्य नहीं है।
उदगम (उत्पत्ति) प्रमाण पत्र कौन जारी करता है?
उदगम (उत्पत्ति) प्रमाण भारत में दो निकायों द्वारा जारी किया जाता है|
हर देश में अलग – अलग संस्थाये यह प्रमाण पत्र जारी करता है| भारत में दो मुख्य निकाय सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन जरी करती है|
• चैंबर ऑफ कॉमर्स (यह एक लोकल गैर सरकारी संस्था होती है जैसे – साउथर्न गुजरात चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स, इंडिया चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स)
• ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया
यह प्रमाणपत्र भारत में निर्यातकों के लिए यह साबित करने के लिए आवश्यक है कि निर्यात की जा रही वस्तुएं भारतीय मूल की हैं। यह यह भी साबित करता है कि निर्यात की जाने वाली वस्तु भारत में पूरी तरह से प्राप्त, निर्मित या उत्पादित होती है। दुनिया भर में व्यापार और वाणिज्य की सुविधा के लिए दुनिया भर में लाखों मूल प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं
सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन प्रमाण के लिए क्या करना चाहिए?
सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन के लिए 10 रुपये के गैर-न्यायिक स्टांप पेपर पर स्थायी क्षतिपूर्ति बांड के साथ निर्यातक द्वारा मूल के प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए व् विधिवत नोटरीकृत (क्षतिपूर्ति बांड के लिए प्रारूप मूल विभाग के प्रमाण पत्र के साथ उपलब्ध है) । प्रमाण पत्र पर चैंबर ऑफ कॉमर्स या इस तरह की योग्यता वाले किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा हस्ताक्षरित और मुहर लगाई जानी चाहिए। यह माल की उत्पत्ति को साबित करने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला दस्तावेज है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की डिजिटल सर्टिफिकेट की पहल :
सर्टिफिकेट ऑफ़ ओरिजिन में हो रही समस्याओ को देखते हुए उद्योग मंत्रालय ने डिजिटल सर्टिफिकेट के लिए 16 सितंबर, 2019 डिजिटल प्लेटफार्म लांच किया, लेकिन प्लेटफार्म में हो रही समस्याओ को देखते हुए मंत्रालय ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया है| इस प्लेटफार्म को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार निदेशालय और रीजिनल मल्टीलेटरल ट्रेड रिलेशन ने सामान्य डिजिटल प्लेटफार्म को डिज़ाइन किया है|
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